सोमवार, 1 मार्च 2010

हंसी का राज

एक ब्लाक में रह रहे ,दो दम्पति संभ्रांत ।
एक बड़े खुशहाल से ,एक दुखी और क्लांत । ।
एक दुखी और क्लांत ,हमेशा लड़ते रहते ।
अपनी जीवन व्यथा ,सभी से रो रो कहते । ।
पर दूजे दम्पति का ,जाने क्या था चक्कर ?
घर से हंसने की आवाज़े आती अक्सर । ।

पहले दम्पति सोचते ,क्या है इसका राज ?
आती है हर रोज क्यों ,हंसने की आवाज़ ?
हंसने की आवाज़ ,प्रश्न एक दिन कीन्हा ।
दूजे दम्पति ने मुस्कराकर उत्तर दीन्हा । ।
"राजिस "हंसने से बढ़ता है खून हमारा ।
इसलिए हर दिन छोड़ा ,करते फव्वारा । ।

हम पति -पत्नी खेलते ,"बेलन -बेलन "यार ।
बारी -बारी फेंकते , गिनकर पूरे चार । ।
गिनकर पूरे चार ,वार यदि लग जाता है ।
हँसे मारने वाला ,बड़ी ख़ुशी पाता है । ।
किन्तु वार यदि बेलन का ,चुके लगने से ।
बचने वाला छोड़े ,फव्वारे हंसने के । ।

13 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

बहुत खूब
मेरी कहानी क्यो लिख दी आपने

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सही!! :)



ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

Randhir Singh Suman ने कहा…

किन्तु वार यदि बेलन का ,चुके लगने से ।
बचने वाला छोड़े ,फव्वारे हंसने के .nice

निर्मला कपिला ने कहा…

हा हा हा बहुत बढिया । बधाई

राज भाटिय़ा ने कहा…

अरे बाप रे.....बहुत मंहगी हंसी है इन खुश नसीवो की....

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

ज्योति जी आदाब
ये तो अलग ही अंदाज़ रहा आपका..
बहुत खूब...हास्य रस की इस रचना के लिये बधाई

ज्योति सिंह ने कहा…

shahid ji jeevan ke uljhano me ,holi ki hurdang me ,is rang ka shamil hona jaroori hai,kyo sach hai na ?

kumar zahid ने कहा…

एक ब्लाक में रह रहे ,दो दम्पति संभ्रांत ।
एक बड़े खुशहाल से ,एक दुखी और क्लांत । ।
एक दुखी और क्लांत ,हमेशा लड़ते रहते ।
अपनी जीवन व्यथा ,सभी से रो रो कहते । ।
पर दूजे दम्पति का ,जाने क्या था चक्कर ?
घर से हंसने की आवाज़े आती अक्सर । ।

सही अवसर पर सही कुंडलियां
इन पर कुंडली मारकर बैठने का जी कर रहा है।

मोहल्ले में ताक झांक जरूरी है। इससे जीने का मजा मिलता है। और लिखनेवाले शब्दप्रेमियों को नई प्रेरणाएं भी। फिर ठहाकों की अपनी उजास होती है। है न ज्योति जी!

निर्झर'नीर ने कहा…

य़की नहीं होता की आपने इतना खूबसूरत व्यंग लिखा ..खूब बहुत खूब
बंधाई स्वीकारें ..

Unknown ने कहा…

varma sahab ki kahani kyo likhi aapne!

शरद कोकास ने कहा…

सबसे पहले जगजीत सिंह के केसेट मे यह चुटकुला सुना था । इसका कविता मे रूपांतरन अच्छा लगा ।

ज्योति सिंह ने कहा…

maafi chahungi aap sabhi se ,ye rachna rajesh arora ji ki hai main naam likhi rahi magar post nahi ho saka ,baad me samjh aaya jab tippani dekhi aap sabhi ki .sharad ji main bhi jagjit singh ji se suni hoon ye joke ,shukriyaan tahe dil se sabhi ko ,aanand jo liya is rang ka ,

बेनामी ने कहा…

हा हा हा बहुत बढिया baat kahi aapne:)