सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

ग़ज़ल


अमीरे -शहूर से साइल बड़ा है
बहुत नादार लेकिन दिल बड़ा है ,

लहू जमने से पहले खूँबहा दे
यहाँ इन्साफ से कातिल बड़ा है ,

चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है ,

किसी बस्ती में होगी सच की हुर्मत
हमारे शहूर में बातिल बड़ा है ,

जो ज़िल्लुल्लाह पर ईमान लाए
वही दानाओ में आकिल बड़ा है ,

उसे खोकर बहा -ए-दर्द पाई
जियाँ छोटा था और हासिल बड़ा है .
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अर्थ -------
साइल --भिखारी , नादार --गरीब , खूँबहा--खून की कीमत , हुर्मत -इज्ज़त , बातिल -झूठ , ज़िल्लुल्लाह --अल्लाह की शान ,दानाओ --बुद्धिमानो ,
आकिल --अक्लमंद ,बहा -ए -दर्द-- -दर्द की रौशनी ,ज़ियाँ--क्षति
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परवीन शाकिर