गुरुवार, 26 मई 2011

दो छोटी छोटी रचना


चार बार हमें भूख लगेगी
पांचवी बार
हम कुछ खा लेंगे ,

चार बार प्यास लगेगी
पांचवी बार
हम पानी पी लेंगे ,

चार बार हम जागते रहेंगे
पांचवी बार
आ जायेगी नीँद .
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आधा पहाड़ दौड़ाता है

आधा दौडाता है हमारा बोझ

आधा प्रेम दौडाता है

आधा दौडाता है सपना

दौड़ते है हम .
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रचनाकार --------मंगलेश डबराल