बुधवार, 24 मार्च 2010

अंजुम जी की रचना











एक लफ्ज में सीने का नूर ढाल के रख


कभी कभार तो कागज़ पे दिल निकाल के रख .




जो दोस्तों की मुहब्बत से जी नही भरता

तो आस्तीन में दो - चार सांप पाल के रख


तुझे तो कितनी बहारे सलाम भेजेंगी


अभी ये फूल -सा चेहरा जरा संभाल के रख




यहाँ से धूप के नेजे बुलंद होते है


तमाम छाँव के किस्सों पे ख़ाक डाल के रख




महक रहे कई आसमान मिट्टी में


कदम जमीने -मुहब्बत पे देखभाल के रख




दिलो - दिमाग ठिकाने पे आने वाले है


अब उसका ज़िक्र किसी और दिन पे टाल के रख




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रचनाकार ........'अंजुम ' बाराबंकवी

15 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना । आभार

कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा…

दिलो - दिमाग ठिकाने पे आने वाले है

अब उसका ज़िक्र किसी और दिन पे टाल के रख ।

................
इन पहेलियों का तो जिक्र अभी कर सकते हैं न ?
...............
विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html

Jandunia ने कहा…

कागज पर दिल निकालना क्या आसान है।

shikha varshney ने कहा…

थोड़े आक्रोश के तडके के साथ एहसासों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति.

राज भाटिय़ा ने कहा…

जो दोस्तों की मुहब्बत से जी नही भरता

तो आस्तीन में दो - चार सांप पाल के रख ।
बिलकुल सच लिखा आप ने ,बहुत सुंदर धन्यवाद

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

तुझे तो कितनी बहारे सलाम भेजेंगी
अभी ये फूल -सा चेहरा जरा संभाल के रख..

आज आपके ब्लॉग से ये नायाब शेर हासिल हुआ है.
आपका शुक्रिया ज्योति जी
और हां-
ये शेर-
महक रहे कई आसमान मिट्टी में
कदम जमीने -मुहब्बत पे देखभाल के रख
इसके पहले मिसरे में शायद-
महक रहे हैं कई आसमान मिट्टी में
किया जाना चाहिये,
ये टाइप में छूट गया है शायद.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत आभार इस उम्दा प्रस्तुति का.

Pawan Kumar ने कहा…

यहाँ से धूप के नेजे बुलंद होते है
तमाम छाँव के किस्सों पे ख़ाक डाल के रख ।
अंजुम जी के शेरों से बहुत बढ़िया परिचय कराया......हर एक शेर लाजवाब है.....साथ ही आपका प्रस्तुतीकरण का ढंग भी......आदरणीया अच्छी प्रस्तुति के लिए आभार !

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

यहाँ से धूप के नेजे बुलंद होते है.
तमाम छाँव के किस्सों पे ख़ाक डाल के रख ।..
वाह,बेहद खूबसूरत,.

Urmi ने कहा…

महक रहे कई आसमान मिट्टी में
कदम जमीने -मुहब्बत पे देखभाल के रख..
अत्यंत सुन्दर! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! बधाई!

dipayan ने कहा…

हर शेर लाज़वाब । ऐसी खूबसूरत रचना प्रस्तुत करने के लिये शुक्रिया ।

Ravi Rajbhar ने कहा…

wahut hi sunder prastuti,
astin me do-char shanp pal ke rakh..
ha..ha...mujhe bahut hansi aai ish line ko pada kar laga hasya byang hai par aage ki line dil ko chhu gai..badhai.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

महक रहे कई आसमान मिट्टी में


कदम जमीने -मुहब्बत पे देखभाल के रख ।
waah

Akhilesh pal blog ने कहा…

bahoot hee sundar rachana hai