सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

ग़ज़ल


अमीरे -शहूर से साइल बड़ा है
बहुत नादार लेकिन दिल बड़ा है ,

लहू जमने से पहले खूँबहा दे
यहाँ इन्साफ से कातिल बड़ा है ,

चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है ,

किसी बस्ती में होगी सच की हुर्मत
हमारे शहूर में बातिल बड़ा है ,

जो ज़िल्लुल्लाह पर ईमान लाए
वही दानाओ में आकिल बड़ा है ,

उसे खोकर बहा -ए-दर्द पाई
जियाँ छोटा था और हासिल बड़ा है .
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अर्थ -------
साइल --भिखारी , नादार --गरीब , खूँबहा--खून की कीमत , हुर्मत -इज्ज़त , बातिल -झूठ , ज़िल्लुल्लाह --अल्लाह की शान ,दानाओ --बुद्धिमानो ,
आकिल --अक्लमंद ,बहा -ए -दर्द-- -दर्द की रौशनी ,ज़ियाँ--क्षति
............................................................................
परवीन शाकिर

23 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

धीरे धीरे समझकर पढ़ते हैं..

बेनामी ने कहा…

shandar
thanks for sharing
http://drivingwithpen.blogspot.in/

विभूति" ने कहा…

बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग ने कहा…

Behtarin rachna.

Ramakant Singh ने कहा…

MAASH ALLAAH
BEAUTIFUL LINES.
PLEASE VISITE ZARURAT MY BLOG.

vidya ने कहा…

बहुत बढ़िया...
अच्छा संग्रह पाया आपके ब्लॉग में..
शुक्रिया.

amrendra "amar" ने कहा…

waah, bahut sunder gajal ..

Monika Jain ने कहा…

bahut khoob

Patali-The-Village ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|

Rajput ने कहा…

चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है ,

खुबसूरत रचना

सादर आमंत्रित हैं --> भावाभिव्यक्ति

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

wah kya khoob likha hai ....badhai jyoti ji.

प्रेम सरोवर ने कहा…

लाजबाव प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

Bharat Bhushan ने कहा…

बहुत सुंदर ग़ज़ल. आपका आभार.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह...वाह...वाह...
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर........
write more often...
:-)

Dinesh pareek ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है sabhi achche hai.......

Asha Joglekar ने कहा…

चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है ,

किसी बस्ती में होगी सच की हुर्मत
हमारे शहूर में बातिल बड़ा है ,

क्या बात है ज्योति जी बेहद सुंदर ।

sumeet "satya" ने कहा…

बेहतरीन कविता पढवाने के लिए हार्दिक धन्यवाद

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन गजल । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।

Dinesh pareek ने कहा…

क्या खूब कहा आपने वहा वहा क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

Rahul Paliwal ने कहा…

बहुत खुब!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

निसंदेह साधुवाद योग्य लाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई