अमीरे -शहूर से साइल बड़ा है
बहुत नादार लेकिन दिल बड़ा है ,
लहू जमने से पहले खूँबहा दे
यहाँ इन्साफ से कातिल बड़ा है ,
चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है ,
किसी बस्ती में होगी सच की हुर्मत
हमारे शहूर में बातिल बड़ा है ,
जो ज़िल्लुल्लाह पर ईमान लाए
वही दानाओ में आकिल बड़ा है ,
उसे खोकर बहा -ए-दर्द पाई
जियाँ छोटा था और हासिल बड़ा है .
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अर्थ -------
साइल --भिखारी , नादार --गरीब , खूँबहा--खून की कीमत , हुर्मत -इज्ज़त , बातिल -झूठ , ज़िल्लुल्लाह --अल्लाह की शान ,दानाओ --बुद्धिमानो ,
आकिल --अक्लमंद ,बहा -ए -दर्द-- -दर्द की रौशनी ,ज़ियाँ--क्षति
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परवीन शाकिर
23 टिप्पणियां:
धीरे धीरे समझकर पढ़ते हैं..
shandar
thanks for sharing
http://drivingwithpen.blogspot.in/
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
Behtarin rachna.
MAASH ALLAAH
BEAUTIFUL LINES.
PLEASE VISITE ZARURAT MY BLOG.
बहुत बढ़िया...
अच्छा संग्रह पाया आपके ब्लॉग में..
शुक्रिया.
waah, bahut sunder gajal ..
bahut khoob
बेहतरीन प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|
चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है ,
खुबसूरत रचना
सादर आमंत्रित हैं --> भावाभिव्यक्ति
wah kya khoob likha hai ....badhai jyoti ji.
लाजबाव प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
बहुत सुंदर ग़ज़ल. आपका आभार.
वाह...वाह...वाह...
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...
बहुत सुन्दर........
write more often...
:-)
सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html
चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है sabhi achche hai.......
चट्टानों में घिरा है और चुप है
समंदर से कही साहिल बड़ा है ,
किसी बस्ती में होगी सच की हुर्मत
हमारे शहूर में बातिल बड़ा है ,
क्या बात है ज्योति जी बेहद सुंदर ।
बेहतरीन कविता पढवाने के लिए हार्दिक धन्यवाद
बहुत ही बेहतरीन गजल । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
क्या खूब कहा आपने वहा वहा क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
बहुत खुब!
निसंदेह साधुवाद योग्य लाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई
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