सूरदास जी के इस भजन को सबने सुना ही होगा ,ये मुझे बहुत प्रिय है ,आज इसे आप सभी से साझा कर रही हूँ .
हे गोविन्द हे गोपाल राखो शरण
अब तो जीवन हारे ,
नीर पीवन हेटु गया
सिन्धु के किनारे ,
सिन्धु बीच बसत ग्राह
पाँव धरी पछारे ,
चारो पहर युद्ध भयो
ले गयो मझधारे ,
नाक -कान डूबने लागे
कृष्ण को पुकारे ,
सुर कहे श्याम सुनो
शरण है तिहारे
अब की बार मोहे पार करो
नन्द के दुलारे
हे गोविन्द हे गोपाल
हे गोपाल राखो शरण
अब तो जीवन हारे l
13 टिप्पणियां:
हे गोपाल राखो शरण,
भावुक
जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
भक्त की करूँ पुकार.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक हेतु पढ़े आलेख-
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
जयश्रीकृष्ण !
हे गोविन्द हे गोपाल
राखो शरण
अब तो जीवन हारे…
यह भजन मेरे पास एम एस सुब्बूलक्ष्मीजी का गाया हुआ है … बहुत शांति मिलती है सुनते हुए …
विलंब से ही सही…
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर भजन....
बहुत अच्छा भजन है।
जगजीत सिंह की आवाज में मैं इसे सुनता रहता हूं।
जयश्रीकृष्ण !बहुत सुंदर भजन
बहुत सुन्दर और भावुक भजन है।
सूरदास जी का भजन भी कभी-कभी मन को शांति प्रदान कर जाता है ।
♥
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही सुंदर रचना...
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।
वाह.सुन्दर प्रभावशाली ,भावपूर्ण ,बहुत बहुत बधाई.
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