शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

आदम को खुदा मत कहो

आदम खुदा नही ,

लेकिन खुदा की नूर से

आदम जुदा नही

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अकबर इलाहाबादी

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दर्द से कुछ इस तरह नाता रहा

दर्द का अहसास जाता रहा

दोस्ती हमसे हमारी रात से

भोर से हर शक्स कतराता रहा

अन्जान

6 टिप्‍पणियां:

Sonali ने कहा…

bahut khub...

daanish ने कहा…

achhee pankteeyaaN haiN
aana achhaa lagaa

abhivaadan...
---MUFLIS---

शरद कोकास ने कहा…

अकबर अलाहाबादी का यह कलाम बहुत खूब है ।

Urmi ने कहा…

वाह वाह बहुत खूब! बढ़िया लगा ये रचना !

Science Bloggers Association ने कहा…

बहुत प्यारे प्यारे शेर कलेक्ट किये हैं आपने।
आभार।
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Dev ने कहा…

WiSh U VeRY HaPpY DiPaWaLi.......