आदम को खुदा मत कहो
आदम खुदा नही ,
लेकिन खुदा की नूर से
आदम जुदा नही ।
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अकबर इलाहाबादी
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दर्द से कुछ इस तरह नाता रहा
दर्द का अहसास जाता रहा ।
दोस्ती हमसे हमारी रात से
भोर से हर शक्स कतराता रहा ।
अन्जान
6 टिप्पणियां:
bahut khub...
achhee pankteeyaaN haiN
aana achhaa lagaa
abhivaadan...
---MUFLIS---
अकबर अलाहाबादी का यह कलाम बहुत खूब है ।
वाह वाह बहुत खूब! बढ़िया लगा ये रचना !
बहुत प्यारे प्यारे शेर कलेक्ट किये हैं आपने।
आभार।
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WiSh U VeRY HaPpY DiPaWaLi.......
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