अंतर
दोनों शराब पी रहे थे ,
अंतर सिर्फ इतना है
कि
एक ओर उनको हवालात में
बंद कर कहा जा रहा था
"साले
न जाने देश का क्या करेंगे !"
और दूसरी ओर
पुलिस अफसर बड़े मैनर्स से
गिलास टकराता हुआ कह रहा था --
"चीयर्स "
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रचनाकार --सपना जायसवाल
20 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना है,ज्योति जी.
मंटो की याद करवा दी .
सलाम.
सुन्दर रचना, यही भेद है।
बहुत भावमयी सुन्दर रचना
सुन्दर व्यंग्य है...लेखिका और आपको बधाई.
व्यक्ति व्यक्ति और स्थान स्थान का फर्क होता ही है, सिवाय उन दीवानों के जो कहते है 'साकी शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर ,या वो जगह बता जहाँ पर खुदा ना हो.' व्यंग का तीखा बान चलाती सुंदर अभिव्यक्ति.
अच्छा कटाक्ष....
yahi to antar hai....bhuke agar apni bhukh meetane ke liye chori kare to chor..........aur raja paise dakare to ..........abhi apraadh siddh nahi hua hai..!
yahi to antar hai....bhuke agar apni bhukh meetane ke liye chori kare to chor..........aur raja paise dakare to ..........abhi apraadh siddh nahi hua hai..!
शराब (नशा) चतुर-चालाक लोगों का आम लोगों पर प्रयोग किए जाने वाला घातक हथियार है। इसके द्वारा वे अपने शत्रु का मानसिक राडार को जाम कर देते हैं। उसके बाद अपनी योजना को अंजाम देते हैं। सर्वहारा वर्ग को इससे दूर रहना चाहिए। इसका सेवन शील-संयम के विरुद्ध अर्थात अश्लील है। आपकी रचना से यह बात पूरी तरह से सिद्ध होती है। प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
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देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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होली मुबारक़ हो। सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। बधाई।
आपको रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !
बहुत-बहुत बधाई . रंग-पर्व की अनेकानेक शुभकामनाएं .
manish jaiswal
bilaspur
chhattisgarh
achha blog hai aapka, cheers.
वाह, अच्छी कविता है।
तीखा कटाक्ष है।
होली पर्व की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं।
दोनों पहलू दिखा दिए आपने.
गागर में सागर.
wah.behad achchi lagi.
सुन्दर व्यंग्य है...लेखिका और आपको बधाई
मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। धन्यवाद्|
बढ़िया आइना दिखाया।
sunder karara vyangya ..........sarthak lekh ke liye aapko bahut bahut badhai
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