गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010



सांस का पत्थर उखड़ेगा तो देखेंगे


जिस्म का पैकर टूटेगा तो देखेंगे ,


कितना दम था खेमे की बुनियादो में


जोर हवा का टूटेगा तो देखेंगे ,


कितना जोर था तूफानी बरसातों में


बरगद कोई उखड़ेगा तो देखेंगे ,


पहली बूँद के क्या -क्या रूप अनूप रहे


सीप से मोती निकलेगा तो देखेंगे ,


रात ने कितने अश्क बहाए सुबह तलक


शाखा से पानी टपकेगा तो देखेंगे ,


अपनी उम्र के रंग कहाँ तक मांद पड़े


बच्चा तितली पकड़ेगा तो देखेंगे ,


किसने किसको कितने पत्थर मारे है


पहरा जिस दम उठेगा तो देखेंगे ,


हर्फो -सदा ने मिलकर क्या गुलकारी की


खून कलम से टपकेगा तो देखेंगे ,


किसकी पेशानी ने कितने जख्म सहे


चाँद जमीं पर उतरेगा तो देखेंगे ,


जश्न मनाएं क्यूँ मांगे किरणों का 'नजीर'


अपना सूरज चमकेगा तो देखेंगे


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'नजीर' फतेहपुरी

20 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

'नजीर' फतेहपुरी साहेब की रचना पढ़वाने के लिए आभार!

Kusum Thakur ने कहा…

नज़र फतेहपुरी जी की रचना पढ़कर अच्छा लगा , आभार !!

Randhir Singh Suman ने कहा…

सीप से मोती निकलेगा तो देखेंगे.nice

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

ज्योति जी आदाब
नज़ीर साहब की ग़ज़ल बहुत उम्दा रही
इसके चयन के लिये बधाई

Akhilesh pal blog ने कहा…

atee sundar aap kee kabitaa achchi lagi

राज भाटिय़ा ने कहा…

नजीर' फतेहपुरी जी की सुंदर नजम के लिये आप का धन्यवाद

Akhilesh pal blog ने कहा…

aap ne mere blog par aakar jo vichar byakt kiya iske liye bahot danyavad aasa hai ke aage bhe aap apane vichar dengi danyavad

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

हर्फो -सदा ने मिलकर क्या गुलकारी की


खून कलम से टपकेगा तो देखेंगे ,


किसकी पेशानी ने कितने जख्म सहे


चाँद जमीं पर उतरेगा तो देखेंगे ,


जश्न मनाएं क्यूँ मांगे किरणों का 'नजीर'


अपना सूरज चमकेगा तो देखेंगे .....


बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ ....सुंदर रचना....

संजय भास्‍कर ने कहा…

Maaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

संजय भास्‍कर ने कहा…

नज़र फतेहपुरी जी की रचना पढ़कर अच्छा लगा , आभार !!

कविता रावत ने कहा…

कितना दम था खेमे की बुनियादो में
जोर हवा का टूटेगा तो देखेंगे ,
Nazir shahib ki rachna padhakar bahut achha laga.
Aapka abhar

Urmi ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार रचना है! दिल को छू गयी! हर एक पंक्तियाँ सराहनीय है! उम्दा रचना!

निर्मला कपिला ने कहा…

कितना दम था खेमे की बुनियादो में


जोर हवा का टूटेगा तो देखेंगे ,
नज़ीर साहिब की गज़लें दिल को छू गयी । बहुत बहुत धन्यवाद्

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut bahut shukriyaan aap sabhi logo ka, meri pasand me shamil hone ke liye

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

जश्न मनाएं क्यूँ मांगे किरणों का 'नजीर'

अपना सूरज चमकेगा तो देखेंगे ।
..वाह! अच्छी गज़ल का शानदार मक्ता.

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

वाह वाह
मजा आ गया दोस्त बेहतरीन सुन्दर पोस्ट

Arvind Mishra ने कहा…

वाह क्या विजन है ?

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जश्न मनाएं क्यूँ मांगे किरणों का 'नजीर'


अपना सूरज चमकेगा तो देखेंगे ।
kamaal ki rachna hai

शरद कोकास ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति