सोमवार, 28 दिसंबर 2009

पछतावा

मानव क्यों उठता है ?

अच्छे कर्म से

क्यों गिरता है ?

कुछ गलतियों से

किसके लिए प्रयत्न करता ?

जिंदगी के लिए

परिश्रमी क्यों बनता ?

सफलता के लिए

इन सभी के बाद ,

क्या रखता है चाह ?

लक्ष्य की प्राप्ति

क्यों रोता है ?

जीवन का मूल्य

खो देने पर

कब करता पछतावा

मौका निकल जाने पर

------------------------------------

ज्योति सिंह

15 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण कविता ...

कडुवासच ने कहा…

... बेहतरीन अभिव्यक्ति !!!

Randhir Singh Suman ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
राज भाटिय़ा ने कहा…

ज्योति जी बहुत ही सुंदर कविता क्लही आप ने. धन्यवाद

शमीम ने कहा…

जीवन के पथ का चित्रण करती बहुत सुंदर कविता । बधाई...

ज़मीर ने कहा…

आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद

Alpana Verma ने कहा…

जीवन का दर्शन समझाते प्रश्न -उत्तर के रूप में लिखी रचना प्रेरणादायी है.

शमीम ने कहा…

Aapko bhi nay saal ki dhero shubhkamnay.

ज़मीर ने कहा…

Naya saal mubarak ho aapko.

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
--------
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

इस सुन्दर रचना के लिए बहुत -बहुत आभार
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

सुंदर रचना ,जारी रखें.

Ashish (Ashu) ने कहा…

प्रेरणादायी सुन्दर भावपूर्ण कविता
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद

संजय भास्‍कर ने कहा…

धन्यवाद
...............