शनिवार, 19 दिसंबर 2009

भरोसा ..

सच हो , लोगो की बात

शंकित हो ,मेरे विचार ,

कमजोर करो, मेरे विश्वास

संकीर्ण करो ,अपने ख्याल ,

कुछ तो रक्खो ,रिश्तों की लाज

जिससे टूटे ,मन की आस

9 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

lajwaab rachna....

रंजू भाटिया ने कहा…

सुन्दर रचना शुक्रिया

Ashish (Ashu) ने कहा…

मन को छूती रचना.

निर्झर'नीर ने कहा…

सारगर्भित ,गागर में सागर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत लाजवाब ........

شہروز ने कहा…

कुछ तो रक्खो ,रिश्तों की लाज

जिससे न टूटे ,मन की आस ।


amar pankti!

शमीम ने कहा…

आपका आभार ।
चंद पंक्तियों में बहुत कुछ । बहुत संदर रचना ।

Unknown ने कहा…

thanks for comment on my old blog
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Alpana Verma ने कहा…

आत्मबल बढ़ाती रचना..बहुत अच्छी है.