मंगलवार, 26 जनवरी 2010

आदर्श का स्तर





दूसरो को शिक्षा ,



दे रहे हम



स्वयं कितना अनुसरण



कर रहे हम ,



बात नैतिकता की



बात शिष्टता की ,



कहने -सुनने में



आसान भी ,



बेहतर भी



पर अहम है



खुद की जीवन के



आदर्श भरे स्तर की



वन्दे मातरम् -----जय हिंद


ज्योति सिंह

मंगलवार, 12 जनवरी 2010

अंतर



दिन किसी का न सही


रात तो है मर्जी की अपनी ,


सुबह भाग दौड़ के साये से घिरी


रात्रि रही चैन की लिबास में लिपटी ,


प्रभात जिम्मेदारियों के बोझ तले


निशा का निमंत्रण मन को सुकून दे ।
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ज्योति सिंह

सोमवार, 4 जनवरी 2010

मकसद ....



रात अँधेरी थी


शाम मस्त सी ,


दोपहर विषाद लेती हुई ,


सुबह अरमान बिखेरी हुई ,


हर गमो से घिरी ,मगर


खुशियों को समेटी हुई ,


ज्ञान को फैलाती ,


हर क्षण को तौलती ,


उसके मूल्यों को पहचानती ,


आगे बढती हुई


जीवन के मकसद


समझाती रही


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रचनाकार ----ज्योति सिंह