मंगलवार, 23 अगस्त 2011

भजन


सूरदास जी के इस भजन को सबने सुना ही होगा ,ये मुझे बहुत प्रिय है ,आज इसे आप सभी से साझा कर रही हूँ .
हे गोविन्द हे गोपाल राखो शरण

अब तो जीवन हारे ,

नीर पीवन हेटु गया

सिन्धु के किनारे ,

सिन्धु बीच बसत ग्राह

पाँव धरी पछारे ,

चारो पहर युद्ध भयो

ले गयो मझधारे ,

नाक -कान डूबने लागे

कृष्ण को पुकारे ,

सुर कहे श्याम सुनो

शरण है तिहारे

अब की बार मोहे पार करो

नन्द के दुलारे

हे गोविन्द हे गोपाल

हे गोपाल राखो शरण

अब तो जीवन हारे l