शनिवार, 21 सितंबर 2013

ऐसा लगता अब तक मुझमे - हिंदी ग़ज़ल

तख्ती -बस्ता  अब तक मुझमे 
एक  मदरसा  अब तक मुझमे  . 
 
भरी  भीड़  में  चलता  संग -संग 
तनहा  रास्ता  अब तक  मुझमे  . 

बहने  को  आतुर  रहता  है 
सूखा  दरिया  अब  तक  मुझमे  . 

बनते  -बनते  रह  जाता  है 
घर  का  नक्शा  अब तक मुझमे  . 

तड़प  रहा  है  कोई  परिंदा  
ऐसा  लगता  अब  तक  मुझमे   ।



रचनाकार   --अश्वघोष 

बुधवार, 28 अगस्त 2013

नैन  हीन  को राह  दिखाओ  प्रभु 
पग पग ठोकर खाऊँ गिर जाऊं मैं 
 नैनहीन  को राह दिखाओ प्रभु।

तुम्हारी नगरियाँ  की कठिन डगरियाँ
  चलत चलत  गिर जाऊं मैं
 नैनहीन  को राह दिखाओ प्रभु।
चहूँ  ओर मेरे घोर अँधेरा
भूल  न जाऊं द्वार तेरा
एक  बार प्रभु  हाथ  पकड़  लो
मन  का  दीप  जलाऊं  मैं प्रभु  ,
नैन हीनको  राह दिखाओ प्रभु।

लता  भजन
श्री  कृष्ण जन्माष्टमी  की  बहुत बहुत बधाईयाँ बन्धुओ