
हुस्न वालों का अहतराम करो
कुछ तो दुनिया में नेक काम करो ,
शेख़ आए है बावजू होकर
अब तो पीने का इंतजाम करो ।
अभी बरसेंगे हर तरफ जलवे
तुम निगाहों का अहतमाम करो ,
लोग डरने लगे गुनाहों से
बारिश -ए- रहमत -ए -तमाम करो ।
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अर्थ ----
अहतराम -इज्ज़त ,बावज़ू --वजू करना , बारिश -ए- रहमत -ए -तमाम -खुदा की कृपा की बारिश
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रचनाकार ----कँवर मोहिंदर सिंह बेदी 'सहर '
बेदी जी की इस रचना को आप सभी ने जगजीत सिंह जी की आवाज़ में सुना ही होगा ,यह मुझे बेहद पसंद है शायद आपको भी आए .इसे सुनते -२ ही लिख रही हूँ अभी .