मानव क्यों उठता है ?
अच्छे कर्म से ।
क्यों गिरता है ?
कुछ गलतियों से ।
किसके लिए प्रयत्न करता ?
जिंदगी के लिए ।
परिश्रमी क्यों बनता ?
सफलता के लिए ।
इन सभी के बाद ,
क्या रखता है चाह ?
लक्ष्य की प्राप्ति ।
क्यों रोता है ?
जीवन का मूल्य
खो देने पर ।
कब करता पछतावा
मौका निकल जाने पर ।
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ज्योति सिंह
15 टिप्पणियां:
सुन्दर भावपूर्ण कविता ...
... बेहतरीन अभिव्यक्ति !!!
ज्योति जी बहुत ही सुंदर कविता क्लही आप ने. धन्यवाद
जीवन के पथ का चित्रण करती बहुत सुंदर कविता । बधाई...
आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद
जीवन का दर्शन समझाते प्रश्न -उत्तर के रूप में लिखी रचना प्रेरणादायी है.
Aapko bhi nay saal ki dhero shubhkamnay.
Naya saal mubarak ho aapko.
नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
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2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
इस सुन्दर रचना के लिए बहुत -बहुत आभार
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
सुंदर रचना ,जारी रखें.
प्रेरणादायी सुन्दर भावपूर्ण कविता
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद
धन्यवाद
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