सोमवार, 28 दिसंबर 2009

पछतावा

मानव क्यों उठता है ?

अच्छे कर्म से

क्यों गिरता है ?

कुछ गलतियों से

किसके लिए प्रयत्न करता ?

जिंदगी के लिए

परिश्रमी क्यों बनता ?

सफलता के लिए

इन सभी के बाद ,

क्या रखता है चाह ?

लक्ष्य की प्राप्ति

क्यों रोता है ?

जीवन का मूल्य

खो देने पर

कब करता पछतावा

मौका निकल जाने पर

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ज्योति सिंह

15 टिप्‍पणियां:

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  2. ज्योति जी बहुत ही सुंदर कविता क्लही आप ने. धन्यवाद

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  3. जीवन के पथ का चित्रण करती बहुत सुंदर कविता । बधाई...

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  4. आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद

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  5. जीवन का दर्शन समझाते प्रश्न -उत्तर के रूप में लिखी रचना प्रेरणादायी है.

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  6. नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
    आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
    आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
    रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
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    2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
    साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।

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  7. इस सुन्दर रचना के लिए बहुत -बहुत आभार
    नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

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  8. प्रेरणादायी सुन्दर भावपूर्ण कविता
    नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

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  9. आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद

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