मित्रो, इस ब्लौग में मैं मेरे पसंदीदा रचनाकारों की रचनायें प्रस्तुत करूंगी, जो निश्चित रूप से आपको भी पसन्द आयेंगी.
शुक्रवार, 18 जून 2010
दिल की दहलीज़ पे यादो के दिए रक्खे है
दिल की दहलीज़ पे यादो के दिए रक्खे है
आज तक हमने ये दरवाजे खुले रक्खे है ।
इस कहानी के वो किरदार कहाँ से लाऊं
वही दर्या है ,वही कच्चे घड़े रक्खे है ।
हम पे जो गुजरी ,न बताया , न बतायेंगे कभी
कितने ख़त अब भी तेरे नाम लिखे रक्खे है ।
आपके पास खरीदारी की कुव्वत है अगर
आज सब लोग दुकानों में सजे रक्खे है ।
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रचनाकार -----------बशीर 'बद्र '
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो ।
न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाये । ।
इस मशहूर शेर को कहने वाले आप ही है ,आपको कौन नही जानता ,आप को किसी और पहचान की जरूरत नही ,एक नाम ही काफी है ।
मंगलवार, 15 जून 2010
ग़ज़ल
लम्हाते-कब ये भी उबूरी है दोस्तो
हम अपने घर में गैरजरूरी है दोस्तों ।
मंजिल पे आके हाथो को देखा तो दुख हुआ
अब भी कई लकीरे अधूरी है दोस्तों ।
उसका ख्याल ,उससे मुलाकात ,गुफ्तगू
तन्हाइयों के खेल शऊरी है दोस्तों ।
बच्चो की परवरिश के लिए खूने -दिल के साथ
झूठी कहानियां भी जरूरी है दोस्तो ।
वो जहनी इन्तेहात है 'वामिक ' कहे भी क्या
यादें जो रह गई है ,अधूरी है दोस्तो ।
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रचनाकार ------अख्तर 'वामिक '
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