सोमवार, 13 सितंबर 2010

जीवन नही मरा करता है


छुप छुप अश्रु बहाने वालों !
मोती व्यर्थ लुटाने वालों !
कुछ सपनो के मर जाने से जीवन नही मरा करता है
सपना क्या है नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ,ज्यो
जागे कच्ची नीँद जवानी ,
गीली उमर बनाने वालों !
डूबे बिना नहाने वालों !
कुछ पानी के बह जाने से सावन नही मरा करता है
कुछ भी मिटता नही यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चाँदनी
पहने सुबह धूप की धोती ,
चाल बदल कर जाने वालों !
वस्त्र बदल कर आने वालों !
चंद खिलौने के खोने से बचपन नही मरा करता है
..............................................................
गोपालदास नीरज

14 टिप्‍पणियां:

  1. काश आज का लेखक भी ऐसी रचना करता और हम कुछ शब्‍द देखते ही झटके से रूक जाते। बहुत अच्‍छी कविता पढुवाने के लिए आभार।

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  2. गीली उमर बनाने वालों !
    डूबे बिना नहाने वालों !
    कुछ पानी के बह जाने से सावन नही मरा करता है ।
    बहुत सुन्दर।अपका धन्यवाद इसे पढवाने के लिये।

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  3. इस अति सुंदर रचना के लिये कवि गोपालदास नीरज जी का धन्यवाद, ओर आप का भी धन्यवाद हम तक पहुचाने के लिये इस कविता को

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  4. कविता को बहुत पहले पढ़ा है, सदैव प्रेरित करती है यह कविता।

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  5. बहुत ही बढ़िया रचना
    http://techtouchindia.blogspot.com
    or
    http://techtouch.tk

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  6. बहुत सुन्दर कविता,

    यहाँ भी पधारें :-
    अकेला कलम...

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  7. छुप छुप अश्रु बहाने वालों !
    मोती व्यर्थ लुटाने वालों !
    कुछ सपनो के मर जाने से जीवन नही मरा करता है ।
    श्रद्धेय नीरज जी की ये श्रेष्ठ रचना प्रस्तुत करने के लिए आभार.

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  8. अपने समय की बहुत सारी सच्चाइयोँ से रूबरू करवाते हैं नीरज जी ।

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  9. बहुत सुन्दर कविता! बहुत बहुत आभार इतनी अच्छी कविता पढ़वाने के लिए!

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  10. bahut hi achhi kavita hai... pahale bhi padhi hai ... fir se ise padhvane ka aabhar... aisi rachnayen jitni baar bhi padhin jayen prerna hi deti hain.....

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