शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

भाई -बहन


तू चिंगारी बनकर उड़ री ,जाग -जाग मैं ज्वाल बनूँ ,
तू बन जा हहराती गंगा ,मैं झेलम बेहाल बनूँ ,
आज बसन्ती चोला तेरा ,मैं भी सज लूं लाल बनूँ ,
तू भगिनी बन क्रान्ति कराली ,मैं भाई विकराल बनूँ ,
यहाँ कोई राधारानी ,वृन्दावन ,बंशीवाला ,
तू आँगन की ज्योति बहन री ,मैं घर का पहरे वाला
बहन प्रेम का पुतला हूँ मैं ,तू ममता की गोद बनी ,
मेरा जीवन क्रीडा -कौतुक तू प्रत्यक्ष प्रमोद भरी ,
मैं भाई फूलों में भूला ,मेरी बहन विनोद बनी ,
भाई की गति ,मति भगिनी की दोनों मंगल -मोद बनी
यह अपराध कलंक सुशीले ,सारे फूल जला देना
जननी की जंजीर बज रही ,चल तबियत बहला देना
भाई एक लहर बन आया ,बहन नदी की धारा है ,
संगम है ,गंगा उमड़ी है ,डूबा कूल -किनारा है ,
यह उन्माद ,बहन को अपना भाई एक सहारा है ,
यह अलमस्ती ,एक बहन ही भाई का ध्रुवतारा है ,
पागल घडी ,बहन -भाई है ,वह आजाद तराना है
मुसीबतों से ,बलिदानों से ,पत्थर को समझाना है
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कवि----गोपाल सिंह नेपाली
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बचपन से इस कविता को हम सभी भाई बहन अपनी माँ से सुनते रहे है और हमें आज भी ये उतनी ही प्रिय है ,इस पावन पर्व पर डालने से इसकी महत्ता और बढ़ जायेगी ,शायद आप सभी मित्रो को भी भाये ,रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर बहुत बहुत बधाई

22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया ,आंखें भीग गईं
    ये रिश्ता ही ऐसा है कि जब भी चर्चा हो बचपन से ले कर सब कुछ याद आने लगता है
    अल्लाह से दुआ है कि सभी भाई बहनों का प्यार बना रहे

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  2. Kya kahun ...kavita main itani dub gai ki shabd bhi vilin hai.
    itani anupam shashkt rachana ko prastut karane ke liye aapka hriday se bahut bahut dhanywad!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  3. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ...
    हर पंक्ति ख़ास है ...
    फिर- फिर पढूंगी इसे ...!

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  4. बहुत सुंदर लगा कविता मै भाई बहिन का प्यार, इस सुंदर कविता के लिये आप का धन्यवाद

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  5. रक्षा बंधन के पुनीत पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं
    गीत बहुत अच्छा लगा...बधाई.

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  6. नेपाली का साहित्य सदैव प्रेरणा देता रहेगा ।

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  7. यह अलमस्ती ,एक बहन ही भाई का ध्रुवतारा है ,
    jyotiji bahut bhut abhar is sundar ojsvi aur snehsikt kvita padhvane ke liye .

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  8. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें! बहुत ही सुंदरा और शानदार लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी! इस भावपूर्ण लेख के लिए बधाई!

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  9. इस सुंदर कविता के लिये आप का धन्यवाद

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  10. जन्मशती पर नेपाली जी का यह बहुत सही स्मरण है ।

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  11. कविता पढवाने का शुक्रिया .आपकी कविता फूलों की कश्तियाँ बेहद पसंद आई..

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  12. आँखें नम हो गई, इतने बेहतरीन गीत के सम्मान में.
    आपके भी हम आभारी हैं जो आपने हमें आइसे गीत से रु-ब-रु कराया

    हार्दिक धन्यवाद

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  13. यह अलमस्ती ,एक बहन ही भाई का ध्रुवतारा है ,
    पागल घडी ,बहन -भाई है ,वह आजाद तराना है ।
    bahyt sundar panktiya

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  14. aap bahot atchha likhti hai, if u free so visit my blog one time http://www.onlylove-love.blogspot.com

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