रात अँधेरी थी
शाम मस्त सी ,
दोपहर विषाद लेती हुई ,
सुबह अरमान बिखेरी हुई ,
हर गमो से घिरी ,मगर
खुशियों को समेटी हुई ,
ज्ञान को फैलाती ,
हर क्षण को तौलती ,
उसके मूल्यों को पहचानती ,
आगे बढती हुई
जीवन के मकसद
समझाती रही ।
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रचनाकार ----ज्योति सिंह
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा मकसद है!
जवाब देंहटाएंओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", FONT लिखने के 24 ढंग!
संपादक : "सरस पायस"
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा
जवाब देंहटाएंथैंक्स
गहरे भाव लिये सुन्दर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंसरल सुंदर रचना. बधाई.
जवाब देंहटाएंhttp://epankajsharma.blogspot.com/2010/01/blog-post_08.html
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!
बहुत अच्छी सार्थक और एक आशा वादी कविता
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंद्वीपांतर परिवार की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत अच्छी सार्थक और एक आशा वादी कविता
जवाब देंहटाएं