सोमवार, 4 जनवरी 2010

मकसद ....



रात अँधेरी थी


शाम मस्त सी ,


दोपहर विषाद लेती हुई ,


सुबह अरमान बिखेरी हुई ,


हर गमो से घिरी ,मगर


खुशियों को समेटी हुई ,


ज्ञान को फैलाती ,


हर क्षण को तौलती ,


उसके मूल्यों को पहचानती ,


आगे बढती हुई


जीवन के मकसद


समझाती रही


...............................................


रचनाकार ----ज्योति सिंह


10 टिप्‍पणियां:

  1. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. सरल सुंदर रचना. बधाई.

    http://epankajsharma.blogspot.com/2010/01/blog-post_08.html

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  3. आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

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  4. बहुत अच्छी सार्थक और एक आशा वादी कविता

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  5. सुंदर रचना
    द्वीपांतर परिवार की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. बहुत अच्छी सार्थक और एक आशा वादी कविता

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