शनिवार, 13 मार्च 2010



आज निदा फ़ाज़ली की रचना डाल रही -------------




जो मिला खुद को ढूंढता ही मिला


हर जगह कोई दूसरा ही मिला




गम नही सोता आदमी की तरह


नीँद में भी ये जागता ही मिला




खुद से ही मिल के लौट आये हम


हमको हर सिम्त आइना ही मिला




जब से गोया हुई है ख़ामोशी


बोलना वाला बेसदा ही मिला




हर थकन का फरेब है मंजिल


चलने वालो को रास्ता ही मिला


.................................................................


निदा फ़ाज़ली

16 टिप्‍पणियां:

  1. फ़ाज़ली साहब की इस सुंदर गजल के लिये आप का धन्यवाद

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  2. गम नही सोता आदमी की तरह
    नीँद में भी ये जागता ही मिला ।
    सुन्दर प्रस्तुति

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  3. Nida sahab ki gazal aur khaskar nazmon ke to hum bhii mureed hain.. aabhar aapka..

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  4. अति सुन्दर प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर शव्दो से सजाया है आप ने इस सुंदर गजल को.बहुत सुंदर
    धन्यवाद

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. निदा साहब का उम्दा कलाम पढ़वाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ज्योति जी.
    उन्हीं का एक शेर याद आ रहा है-
    हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी
    जिसको भी देखना हो, कई बार देखना.

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  7. गम नही सोता आदमी की तरह
    नीँद में भी ये जागता ही मिला ।
    सुन्दर प्रस्तुति

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  8. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ! बहुत दिन बाद पढ़ा है इनको ! आपको शुभकामनायें !

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  9. रास्ता चलने वालों को ही मिलता है । बधाई ।

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  10. ज्योति जी
    सादर अभिवंदन
    निदा जी की ग़ज़ल पढवा कर आपने पाठकों के लिए सार्थक काम किया है.
    आभार.
    - विजय तिवारी " किसलय "

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  11. गम नही सोता आदमी की तरह
    नीँद में भी ये जागता ही मिला ।
    खुद से ही मिल के लौट आये हम
    हमको हर सिम्त आइना ही मिला ।
    अत्यंत सुन्दर पंक्तियाँ! बेहतरीन प्रस्तुती! बधाई!

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  12. bahut bahut aabhaari aap sabhi ki ,mujhe bhi nida ji gazal nazm bahut pasand hai isliye aap logo ke sang baanti .shahid ji aapko bhi shukriyaan itni sundar pantiyaan pesh ki ,galib tere andaaje byan kuchh aur hai .

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  13. bahut sunder ,
    Chalne wale ko hi rashta mila
    sarthak abhibyakti. Badhai

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