गुरुवार, 4 मार्च 2010

हिन्दुस्तानी गजले



कलम तराश कर रखना हिसाब मांगेंगे


सफों में कैद पड़े ख़त जवाब मांगेंगे




तड़पती चाह पर इतनी निगाह तो रखना


सफ़र में प्यासे हमेशा ही आब मांगेंगे




अगर सवाल हुआ तीश्नगी के बारे में


जवाब इसका यही है शराब मांगेंगे




लहूलुहान हुए है यकीन में आकर


दुआ कबूल होंगी रकाब मांगेंगे




हवा में दर्द का देखो शोर बढ़ जाये


हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे


............................................................


रचनाकार ------अनिरुद्ध सिन्हा

21 टिप्‍पणियां:

  1. कलम तराश कर रखना हिसाब मांगेंगे
    सफों में कैद पड़े ख़त जवाब मांगेंगे ।
    लहूलुहान हुए है यकीन में आकर
    दुआ कबूल न होंगी रकाब मांगेंगे
    behad khoobsurat hai ye gazal,har baat bemisaal hai

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  2. हिना से रंगे हाथ इंकिलाब मांगेंगे । वाह

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  3. कलम तराश कर रखना हिसाब मांगेंगे
    सफों में कैद पड़े ख़त जवाब मांगेंगे ।


    तड़पती चाह पर इतनी निगाह तो रखना
    सफ़र में प्यासे हमेशा ही आब मांगेंगे ।

    बेहतर है ...

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  4. मतले ने ही निःशब्द कर दिया..... बहुत सुंदर ग़ज़ल....

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  5. बस एक शब्द इस गज़ल के लिये -- लाज़वाब ।

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  6. लहूलुहान हुए है यकीन में आकर

    दुआ कबूल न होंगी रकाब मांगेंगे ।
    waah!
    bahut hi badhiya ghazal hai..

    jyoti ji ka abhaar aur
    aniruddh ji ko badhayee.

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  7. हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे ।
    बहुत खूबसूरत गज़ल्

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  8. हवा में दर्द का देखो न शोर बढ़ जाये
    हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे ।
    Waah!! behad khubsurat gazal!
    Aaj pahali bar hi aapke blog par aana hua ....aur aapko pad kar yakin maniye dil khush hogaya!! dhanywaad is gazal ke liye!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  9. हवा में दर्द का देखो न शोर बढ़ जाये


    हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे.nice................

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  10. हवा में दर्द का देखो न शोर बढ़ जाये
    हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे ।


    -वाह! बहुत खूब!

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  11. वाह बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण ग़ज़ल प्रस्तुत किया है आपने! बधाई!

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  12. bahut khoob...
    ati sunder

    http://liberalflorence.blogspot.com/
    http://sparkledaroma.blogspot.com/

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  13. एक बेहतरीन गजल अपने में सभी एक से बढ्कर एक ।पूनम

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  14. हवा में दर्द का देखो न शोर बढ़ जाये
    हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे ।
    Bahut bhavpurn, dil chhu gayee...
    Shubhkamnayen..

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  15. ज्योति जी
    हवा में दर्द का देखो न शोर बढ़ जाये
    हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे ।
    निश्चित रूप से अनिरुद्ध जी ने तेवर वाला शेर लिखा है.....
    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनायें...... !

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  16. कलम तराश कर रखना हिसाब मांगेंगे

    सफों में कैद पड़े ख़त जवाब मांगेंगे ।

    लहूलुहान हुए है यकीन में आकर

    दुआ कबूल न होंगी रकाब मांगेंगे ।

    हवा में दर्द का देखो न शोर बढ़ जाये

    हिना से हाथ रंगे इन्किलाब मांगेंगे ।


    ज्योति जी! इतनी असरदार और जिम्मेदार गजल तक पहुंच मार्ग प्रदान करने के लिए धन्यवाद। भाई अनिरुद्ध को भी इस गजल के लिए हजार बधाइयां

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  17. बहुत ही सुन्दर गज़ल. शुभकामनाएं...

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