हिंदी -उर्दू काव्य प्रेमियों के बीच समान रूप से लोकप्रिय और सम्मानित 'निदा फाजली ' समकालीन उर्दू साहित्य के उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण हस्ताक्षर है ।
कभी किसी को मुकम्मल जहां नही मिलता
कही जमीं तो कही आसमान नही मिलता ....
जैसे कालजयी शेर कहने वाले निदा फाजली की गजले और नज्मे वर्तमान युग की सभी विसंगतियों को रेखांकित करती हुई ,अँधेरे रास्तों में उमीदों की नयी किरणे बिखेरती है । इनसे कौन परिचत नही ,बस कुछ मित्रो के आग्रह पर उनका संक्षिप्त वर्णन दे रही हूँ ,आप सभी मित्रो की अहसानमंद हूँ , जो मेरी पसंद को आपने सराहा ,शुक्रिया दिल से ।
निदा फाजली के कुछ दोहे आज डाल रही हूँ -------
मैं रोया परदेस में ,भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की ,बिन चिट्ठी बिन तार ।
======
बच्चा बोला देखकर ,मस्जिद आलीशान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान ।
''''''''''''''''''''''
बहने चिड़िया धूप की , दूर गगन से आये
हर आँगन मेहमान - सी ,पकड़ो तो उड़ जाये ।
...................
सुना है अपने गाँव में रहा न अब वो नीम
जिसके आगे मांद थे सारे वैद्य -हकीम ।
>>>>>>>>>
सीधा -सादा डाकिया ,जादू करे महान
एक ही थैले में भरे ,आंसू और मुस्कान ।
?????????????
सातो दिन भगवान के ,क्या मंगल क्या पीर
जिस दिन सोये देर तक ,भूखा रहे फकीर ।
=========
माटी से माटी मिले ,खो के सभी निशान
किस में कितना कौन है ,कैसे हो पहचान ।
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निदा फाजली
कभी किसी को मुकम्मल जहां नही मिलता
कही जमीं तो कही आसमान नही मिलता ....
जैसे कालजयी शेर कहने वाले निदा फाजली की गजले और नज्मे वर्तमान युग की सभी विसंगतियों को रेखांकित करती हुई ,अँधेरे रास्तों में उमीदों की नयी किरणे बिखेरती है । इनसे कौन परिचत नही ,बस कुछ मित्रो के आग्रह पर उनका संक्षिप्त वर्णन दे रही हूँ ,आप सभी मित्रो की अहसानमंद हूँ , जो मेरी पसंद को आपने सराहा ,शुक्रिया दिल से ।
निदा फाजली के कुछ दोहे आज डाल रही हूँ -------
मैं रोया परदेस में ,भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की ,बिन चिट्ठी बिन तार ।
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बच्चा बोला देखकर ,मस्जिद आलीशान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान ।
''''''''''''''''''''''
बहने चिड़िया धूप की , दूर गगन से आये
हर आँगन मेहमान - सी ,पकड़ो तो उड़ जाये ।
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सुना है अपने गाँव में रहा न अब वो नीम
जिसके आगे मांद थे सारे वैद्य -हकीम ।
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सीधा -सादा डाकिया ,जादू करे महान
एक ही थैले में भरे ,आंसू और मुस्कान ।
?????????????
सातो दिन भगवान के ,क्या मंगल क्या पीर
जिस दिन सोये देर तक ,भूखा रहे फकीर ।
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माटी से माटी मिले ,खो के सभी निशान
किस में कितना कौन है ,कैसे हो पहचान ।
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निदा फाजली