शनिवार, 22 अगस्त 2009

कही -अनकही

मुट्ठी भर आतंक देश का सिरदर्द बना ,

देखो तो भाड़ फोड़ रहा है अकेला चना ।

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जो कुछ भी तेरे पास है ,सब उधार का

लक्षण नज़र नही आता है ,तुझमे सुधार का ।

ये पाक तेरी हरकतों पर कह रहा भारत ,

'कि अच्छा सिला दिया तुने मेरे प्यार का '।

रचनाकार ----विवेक सिंह


रचनाकार

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

कृष्ण जी के १०८ नाम

कंस दलन , केशिदमन , जसुदासुत , नंदलाल , मुरलीधर ,गोविन्द, हर , गिरधारी गोपाल ||
सुंदरश्याम , राधारमण , रुक्मणी के श्रृंगार , नन्द नंदन , वासुदेव सुत, राधा प्राणाधार ||
चंद्रश्रेष्ठ यदुवंश के गोपिन के चितचोर , गोपी वल्लभ , कृष्णजी, कान्हा , माखन चोर ||
ब्रजपति , ब्रजनिधि, ब्रज्रमण , ब्रज्दाता , बराजमान , ब्रजभानु , ब्रजचंद्रमा , वृजकेतू भगवान||
श्याम , कन्हय्या , सांवरा , सतभामा सिरमोर , वृजभूषण , अखिलेश्वर, श्यामल , नन्द किशोर||
वृजनायक , घनश्याम जी , गोकल के उजियार , योगेश्यर , यदुवंश्म्नी , भगवान प्राणाधार ||
कुंजबिहारी , देवकी नंदन , परमपिता , गीता गायक , नंदलाला , वासुदेव के प्यारे , दीन दयालु , सुखदायक ||
मुरलीधर , माधव , मदन , चक्र , सुदर्शनधारी , नाग नथेयारास रचेया, वनमाली , श्री बनवारी ||
पार्थसारथी , अच्युत , द्वारिकाधीश ललाम , करुणा सागर , भागवत वछल , नारायण , सुखधाम ,||
शेषशायी , सुखराशी , विट्ठल , तीन लोक के नाथ , राधावल्लभ , करुनेश्वर, मोहन , लक्ष्मी नाथ||
निर्गुण , सगुण , निरंजन , माधव , अविनासी , मायापति , भगतन के दाता , दुखहंता,सुखरासी ||
असुरदमन , संकटहरण , राधा के श्रृंगार , मधुसूदन , त्रिलोकपति , दयासिन्धु , कतार ||
गुणातीत , गोपेश , जगपति , जगदीश्वर, जसुदाजीवन , मुरली मनोहर , सुखकर परमेश्वर ||
पीतवसन , त्रीभंगिमा , गऊ चरावन हार , गीतागायक राधिका नायक मनहर कृष्ण मुरार ||
सेवक याता , भाग्य विधाता , आरत भयहारी , सखा , बंधू तुम सब कुछ मेरे, रक्षक बलिहारी ||

मंगलवार, 4 अगस्त 2009

रक्षाबंधन

भाई -बहन का बंधन

गंगा- जमुना जलधारा

यह उन्माद बहन को 'अपना '

भइया मेरा सहारा

कैसे बतलाऊ भइया तू है

मेरा कितना प्यारा ,

याद आते ही फूट पड़ती

उर में खुशी की धारा ,

अरमान हो उम्मीद हो

तुम हो मेरा सहारा ,

डूबती हुई जिंदगी का

भइया तुम किनारा ,

भेज रही राखी बहना

बाँध लो भइया हमारा ,

आशीष देती तुम्हे निहारती

राखी भइया हमारा ।

यश- कीर्ति धन -धान बढे

आयु बढे तुम्हारा ।

रोग बला सब दूर हो तुमसे

कष्ट -दिन कभी न आए ,

विघ्न- बाधाएं निकट न आए

लग जाए मेरी दुआएं ,

यत्र- तत्र सर्वत्र हो भइया

रौशन तेरा नाम
रोम रोम सुख सम्पदा चूमे

शौहरत करे सलाम ।

जिस पथ से निकलो तुम भइया

दे आशीष भगवान,

मेरा भाई हो आयुष्मान ......


rachanaakaar -indu singh