रविवार, 12 जुलाई 2009

यथार्थ



दिन महीना साल बराबर

अपना घर ससुराल बराबर।

कैसी जिल्लत,कैसी इज्ज़त,

घर की मुर्गी दाल बराबर।

तेरे गम का मारा हुआ मैं,

दिखता हूँ, कंकाल बराबर।

प्यार की मीठी बातें भी अब,

लगतीं हैं जंजाल बराबर।
(रचनाकार-विवेक सिंह )

22 टिप्‍पणियां:

  1. ज्योतिजी यह पक़्छ तो अन्जाना था .

    बहुत सुन्दर

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  2. bahut dino se iski khawahish rahi magar kar nahi paa rahi thi .aapki baton se prerit ho kar anjaam de daala ,warana aage talate rahata .shubharam aapki tippani se hi hua ,ye bhi khoob rahi .shukriya .

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  3. वाह!वाह!! बहुत शानदार. वैसे इस रचना का सस्वर पाठ मै विवेक जी से सुन चुकी हूं सो इसे पढते वक्त वही दिन ताज़ा हो गया....आपके इस प्रयास के लिये बधाई

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  4. BAHUT BAHUT BAHUT BAHUT SAHI KAHA AAPANE ......SHAYAD EK AURAT KI JINDAGI ME AISA PAL AATA HAI JAB YAH SOCHANE LAGATI HAI ......BAHUT BADHIYA

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  5. vandana ji ,om ji,aruna ji aur aawaz do humko aap sabhi logo ka shukriya .
    om ji ,ye vyatha puroosho ki hai .

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  6. ओम आर्य की तिप्पनी और उस्के जबाब मे आप्की तिप्पणी . उम्दा हास्य बन गया . सच है कि शायद हम पुरुश मान कर चलते हैं कि हर व्यथा नारी की ही होती है , या होगी .पुरुशोन के भाग्य मे व्यथा होती ही नहीन . साफ़ साफ़ कहे जाने पर भी . :):):)

    ये भी खूब रही !!

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  7. raj ji ,aapki baate bilkul sahi hai ,aur ye tippani dekh main muskura uthi .shukriya .

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  8. काफी समय पुरुषों की व्यथा के बारे में लिखा गया है शायद इसी लिए भ्रम हो गया होगा . व्यथा शब्द पढ़ते ही जेहन में नारी अपने आप जुड़ जाता है .

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    कैसी जिल्लत,कैसी इज्ज़त,
    घर की मुर्गी दाल बराबर।
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    प्यार की मीठी बातें भी अब,
    लगतीं हैं जंजाल बराबर।|

    सबसे पहले तो आप का धन्यवाद कि स्त्री होते हुए भी आप ने पुरुषों कि व्यथा कथा को समझा , और वह भी इतनी ' मार्मि[क]....' नहीं भाई नहीं इतनी ' कारू [ णिक ] ...' नहीं यह भी सही नहीं लगा अच्छा रचना में से ही कोई उचित शब्द ढूंढने क प्रयत्न करता हूँ लो मिल गयी

    प्यार की मीठी बातें भी अब,
    लगतीं हैं जंजाल बराबर।

    ' जंजाली -बवाली ' रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया |
    रही विवेक जी कि बात तो हम सभी उनकी व्यथा से 'व्यथी' हैं उन्हें उनकी एक 'विरोधाभासी ' रचना के लिए बधाई विरोधाभासी इस कारण से कि यदि अगर ऐसा है

    तेरे गम का मारा हुआ मैं,
    दिखता हूँ, कंकाल बराबर।

    फिर ऐसे कैसे हो सकता है

    प्यार की मीठी बातें भी अब,
    लगतीं हैं जंजाल बराबर।|

    फिर भी आप द्वय को पुनः पुनः धन्यवाद और विशेष धन्यवाद इस बात के लिए कि इस रचना के कारण ही बोनस में टिप्पणियों के रूप में चुटकुले भी पढने को मिले |
    विवेक जी पुनः पुनः ज्योति जी के आंगन में आते रहिये ,अपनी व्यथा सुनते रही ये हम सभी यथावत टिप्पीयाते रहेंगे |

    ज्योति जी अर्थ-यथार्थ आगमन और प्रसाद का आभारी हूँ

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  10. पिंकी इस देश की बेटी हैं जिसे कुछ दरिंदो ने इस हालात में पहुचा दिया हैं जहां से बाहर निकलने में आप सबों के प्यार और स्नेह की जरुरत हैं।

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  11. घर की मुर्गी दाल बराबर।
    तेरे गम का मारा हुआ मैं,
    दिखता हूँ, कंकाल बराबर।
    प्यार की मीठी बातें भी अब,
    लगतीं हैं जंजाल बराबर।

    .....विवेक जी ऐसी क्या बात हो गयी ....??

    नयी तस्वीर लगाइयेगा ....हम भी देखें कंकाल की दशा में कैसे लगते हैं आप.. ..हा....हा....हा....!!

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  12. आप सबों के प्यार और हौसला अफजाई से पिंकी के मामले में न्याय की आश एक बार फिर जगी हैं।एन0डी0टी0भी0और ई0टी0भी0बिहार ने इस मामले को सामने लाकर पूरे बिहार में भूचाल ला दिया हैं।मुख्यमंत्री सचिवालय इस मामले में मोनेटरिंग शुरु कर दी हैं और रातो रात नामजद अभियुक्त की कुर्की जप्ती हुई हैं वही अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी चल रही हैं।इस बीच खबर चलने का इतना असर दिखा की राजधानी पटना में 18जुलाई को संयुक्त राष्ट्र संघ के ड्रंग एव अपराध वींग द्वारा ट्रेफीकिंग को लेकर बुलाये गये सेमीनार में पिंकी का मामला छाया रहा।सेमीनार के दौरान पिंकी ने अपनी आप बीती सुनाई और सेमीनार में उपस्थित वरिय पुलिस पदाधिकारी और स्वयसेवी संगठनों से न्याय पाने के इस लड़ाई में सहयोग की मांग की।स्वसेवी संगठन जन चौकीदार ने सभी तरह का कानूनी सहायता उपलब्ध करने की घोषणा की हैं और बैठक में भाग लेने आये सी0बी0आई के ज्वाईट डाईरेक्टर पी0के0नायर ने इस मामले में दरभंगा के आलाधिकारी से बात की और इस मामले में क्या क्या हो सकता हैं इसकी सलाह दी ।बैठक में उपस्थित बाल श्रंम आयोग के अध्यक्ष ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़े करते हुए मुख्यमंत्री से पूरे मामले की पुन जांच कराने का आग्रह किया।शाम होते होते डी0जी0कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक इस मलसे को लेकर बैठके होती रही और दरभंगा पुलिस को पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया गया हैं।परिवार को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का भरोसा मिलने के बाद आज सुबह पिंकी और उसके माता पिता दरभंगा गये हैं।वही दूसरी और कई संगठनों ने पिंकी को पढाने में मदद की घोषणा की हैं।यह सब आप सबों के सहयोग से सम्भव हो पाया हैं।और इसके लिए अपने मीडिया के बंधु को देर से ही सही और सार्थक पहल के लिए धन्यवाद के पात्र हैं।वही इस मामले में यह पंक्ष भी सामने आया की ब्लांग के माध्यम से भी बेजुवानों की आवाज को उठा कर एक अंजाम तक पहुचाया जा सकता हैं।

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  13. santosh ji,aap puroosh ho kar itna kuchh kar sakate hai, hame to is marm ko bhalibhanti samjhana chahiye ,pinki ke dard ke saamne hamara har sahyog mamuli hai .aur shabdo ke alaawa diya hi kya hamane .aese nek kaam ke liye sada agrasar hoon main .

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  14. रोचक कविता। ज्योति जी अच्छे चुनाव के लिए बधाई

    जगमोहन

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  15. शेक्सपियर के ब्लैक कॉमेडी की याद आ गयी...
    शायद अपनी तरह की अकेली और अनोखी कविता है जिसमे मुस्कराहट में छिपे आंसू दिख जाते हैं...
    बधाई...

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  16. प्यार की मीठी बातें भी अब,


    लगतीं हैं जंजाल बराबर। ...boht sunder rachna.....

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  17. आपके ब्लाग पर अचानक आ गया। इस कविता ने लिखने पर विवश कर दिया।
    --मेरी भी बधाई स्वीकार करें।

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  18. jyoti ji aap ki rachnaye dekha badi acchi lagi .....aap ki klam bs u he chalti rahe inhi kamnawo ke sath dhnyabad...kunvar

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