मंगलवार, 23 अगस्त 2011

भजन


सूरदास जी के इस भजन को सबने सुना ही होगा ,ये मुझे बहुत प्रिय है ,आज इसे आप सभी से साझा कर रही हूँ .
हे गोविन्द हे गोपाल राखो शरण

अब तो जीवन हारे ,

नीर पीवन हेटु गया

सिन्धु के किनारे ,

सिन्धु बीच बसत ग्राह

पाँव धरी पछारे ,

चारो पहर युद्ध भयो

ले गयो मझधारे ,

नाक -कान डूबने लागे

कृष्ण को पुकारे ,

सुर कहे श्याम सुनो

शरण है तिहारे

अब की बार मोहे पार करो

नन्द के दुलारे

हे गोविन्द हे गोपाल

हे गोपाल राखो शरण

अब तो जीवन हारे l

13 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।

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  2. भक्त की करूँ पुकार.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक हेतु पढ़े आलेख-
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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  3. जयश्रीकृष्ण !

    हे गोविन्द हे गोपाल
    राखो शरण
    अब तो जीवन हारे…

    यह भजन मेरे पास एम एस सुब्बूलक्ष्मीजी का गाया हुआ है … बहुत शांति मिलती है सुनते हुए …


    विलंब से ही सही…
    ♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. बहुत अच्छा भजन है।
    जगजीत सिंह की आवाज में मैं इसे सुनता रहता हूं।

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  5. बहुत सुन्दर और भावुक भजन है।

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  6. सूरदास जी का भजन भी कभी-कभी मन को शांति प्रदान कर जाता है ।

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  7. आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  8. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।

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  9. वाह.सुन्दर प्रभावशाली ,भावपूर्ण ,बहुत बहुत बधाई.
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