सूरदास जी के इस भजन को सबने सुना ही होगा ,ये मुझे बहुत प्रिय है ,आज इसे आप सभी से साझा कर रही हूँ .
हे गोविन्द हे गोपाल राखो शरण
अब तो जीवन हारे ,
नीर पीवन हेटु गया
सिन्धु के किनारे ,
सिन्धु बीच बसत ग्राह
पाँव धरी पछारे ,
चारो पहर युद्ध भयो
ले गयो मझधारे ,
नाक -कान डूबने लागे
कृष्ण को पुकारे ,
सुर कहे श्याम सुनो
शरण है तिहारे
अब की बार मोहे पार करो
नन्द के दुलारे
हे गोविन्द हे गोपाल
हे गोपाल राखो शरण
अब तो जीवन हारे l