सोमवार, 25 अप्रैल 2011

एक और रचना राही जी की


ज्ञान ध्यान कुछ काम आये
हम तो जीवन -भर अकुलाये ,

पथ निहारते दृग पथराये
हर आहट पर मन भरमाये ,

झूठे जग में सच्चे सुख की
क्या तो कोई आस लगाये

देवालय हो या मदिरालय
जहां गये जाकर पछताए

तड़क -भड़क संतो की ऐसी
दुनियादार देख शरमाए

माल लूट का सबने बांटा
हम ही पड़े रहें अलसाए

जो बिक जाता धन्य वही है
जो बिके मूरख कहलाये

टिकट बांटने के नाटक में
धूर्त महानायक बन छाये

शिष्टाचार भ्रष्टता दोनों -
ने अपने सब द्वैत मिटाए

जहां बिछी शतरंज वही ही
शातिर बैठे जाल बिछाए

अब के यू खैरात बँटी है
सारा किस्सा दिल बहलाए

दुर्जन पार लगाता नैया
सज्जन किसका काम बनाये

राही तो सीधे - सादे है
कौन भला क्या उनसे पाये

20 टिप्‍पणियां:

  1. जो बिक जाता धन्य वही है
    जो न बिके मूरख कहलाये।

    बेहद शानदार. व्यवस्था का अच्छे से चित्रण किया है.

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  2. ज्योति जी, राही जी की कविताओं के बहाने आपकी रचनाधर्मिता से परिचय हुआ. अच्छा लगा. आपके इस सुन्दर प्रयास को नमन........आभार. ........शुभकामनायें.

    मेरा ब्लॉग है -- baramasa98.blogspot.com

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  3. राही तो सीधे - सादे है
    कौन भला क्या उनसे पाये ।

    अब राही जी के सीधे-सादे पन से बताइये किसने क्या क्या पाया ,ज्योति जी आप ही बताएं.

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  4. बहुत ही सुंदर रचना|धन्यवाद।

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  5. बहुत अच्छी रचना, प्रस्तुत करने के लिए शुक्रिया.

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  6. जहां बिछी शतरंज वही ही
    शातिर बैठे जाल बिछाए ।
    सच के काफी करीब लगती है आपकी ये लाइनें। बहुत सुंदर।

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  7. राही तो बस आते हैं और चले जाते हैं। सुन्दर कविता।

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  8. जहां बिछी शतरंज वही ही
    शातिर बैठे जाल बिछाए ।

    ज्योति जी, राही जी की एक और अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।

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  9. सुन्‍दर रचना... बहुत बहुत बधाई ।।।।
    गजल में आपको अभी और काम करने की जरूरत है

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  10. बहुत सुन्दर कविता ज्योति जी।

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  11. देवालय हो या मदिरालय
    जहां गये जाकर पछताए ।

    तड़क -भड़क संतो की ऐसी
    दुनियादार देख शरमाए ।
    ....
    सामाजिक व्यवस्था पर तीक्ष्ण प्रहार ...

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  12. kya bat hain bahut khoob likha
    aur har line sach hain

    nice blog
    mere blog par bhi aaiyega aur pasand aaye to follow kariyega
    http://iamhereonlyforu.blogspot.com/

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  13. जहां बिछी शतरंज वही ही
    शातिर बैठे जाल बिछाए ।
    जीवन के बहुत करीब है यह रचना

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