शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

मुनव्वर राना की गज़ले


ये देख कर पतंगे भी हैरान हो गयी
अब तो छते भी हिन्दू -मुसलमान हो गयी

क्या शहर --दिल में जश्न -सा रहता था रात -दिन
क्या बस्तियां थी ,कैसी बियाबान हो गयी

जा कि चंद साँसे बची है हिसाब से
आँखे तो इन्तजार में लोबान हो गयी

उसने बिछड़ते वक़्त कहा था कि हँस के देख
आँखे तमाम उम्र को वीरान हो गयी

22 टिप्‍पणियां:

  1. ये देख कर पतंगें भी हैरान हो गईं
    अब तो छतें भी हिन्दू -मुसलमान हो गईं ।

    वाह ,क्या बात है ,
    आप की पसंद बहुत अच्छी है ज्योति जी

    जवाब देंहटाएं
  2. ज्योति जी, बहुत उम्दा गज़ल है...
    मुनव्वर साहब के कलाम में हमेशा ताज़गी मिलती है. प्रस्तुति के लिए शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  3. ये तो आँखों की बाते हैं क्या क्या कहें.
    अब तो आँखे ही सबकी शैतान हो गईं
    ..........

    जवाब देंहटाएं
  4. ये देख कर पतंगें भी हैरान हो गईं
    अब तो छतें भी हिन्दू -मुसलमान हो गईं ।

    वाह , क्या बात है, सुन्दर अभिव्यक्ति
    प्रस्तुति के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही उम्दा.

    ये देख कर पतंगे भी हैरान हो गयी
    अब तो छते भी हिन्दू -मुसलमान हो गयी

    जवाब देंहटाएं
  6. दिल की टीस की सुंदर अभिव्यक्ति ,जो दिल में टीस देती है.इन पंक्तिओं को क्या कहें
    "उसने बिछड़ते वक़्त कहा था कि हँस के देख
    आँखे तमाम उम्र को वीरान हो गयी "
    कौन है वह?यदि कोई आपति न हो तो कृपया बताएं .
    'मनसा वाचा कर्मणा'पर अभी इंतजार है आपका .
    आपने कहा था फिर आऊँगी.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढ़िया।
    मुनव्वर साहब की ग़ज़लों की बात ही कुछ और है।

    जवाब देंहटाएं
  8. आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
    महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना

    जवाब देंहटाएं
  9. इतनी खुबसूरत गजल
    इनकी मै पहली बार पढ़ रही हूँ
    बहुत बहुत आभार मेरे ब्लॉग पर
    आने के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  10. निसंदेह एक बेहतरीन प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  11. dhanywad
    munawwar rana ki gazlen mujhe bhi achchhee lagtee hain . "maa" par jo likhi hai wo to adbhut hai

    जवाब देंहटाएं
  12. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा प्रत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , साथ ही इस मंच के लेखक बन कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आपका इंतजार करेंगे.
    हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"

    जवाब देंहटाएं
  13. मुनव्वर साहब को गज़ल कहते हुए देखना भी एक अद्भुत अनुभव होता है ।

    जवाब देंहटाएं
  14. ये देख कर पतंगें भी हैरान हो गईं
    अब तो छतें भी हिन्दू -मुसलमान हो गईं बहुत उम्दा ......

    जवाब देंहटाएं
  15. ये देख कर पतंगे भी हैरान हो गयी
    अब तो छते भी हिन्दू -मुसलमान हो गयी ।

    क्या बात है ....

    जवाब देंहटाएं