शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

आदम को खुदा मत कहो

आदम खुदा नही ,

लेकिन खुदा की नूर से

आदम जुदा नही

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अकबर इलाहाबादी

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दर्द से कुछ इस तरह नाता रहा

दर्द का अहसास जाता रहा

दोस्ती हमसे हमारी रात से

भोर से हर शक्स कतराता रहा

अन्जान

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