tag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post7077146423367167730..comments2023-10-20T07:04:42.856-07:00Comments on कल्पतरु: मेरा नया बचपनज्योति सिंहhttp://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-53642292642298368952021-03-16T18:07:18.511-07:002021-03-16T18:07:18.511-07:00 भावों व शब्दों का सौंदर्य बिखेरती रचना मुग्ध करती... भावों व शब्दों का सौंदर्य बिखेरती रचना मुग्ध करती है। Shantanu Sanyal शांतनु सान्यालhttps://www.blogger.com/profile/06457373513221191796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-58504304073699941132021-03-15T08:56:01.137-07:002021-03-15T08:56:01.137-07:00हर मां के दिल की आवाज को शब्दों में पिरो दिया है आ...हर मां के दिल की आवाज को शब्दों में पिरो दिया है आदरणीय सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने,साझा करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद ज्योति जीKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-44937401876530545952021-03-14T23:43:37.885-07:002021-03-14T23:43:37.885-07:00सुभद्रा कुमारी जी की बहुत ही सुंदर रचना है ये। शेय...सुभद्रा कुमारी जी की बहुत ही सुंदर रचना है ये। शेयर करने के लिए धन्यवाद, ज्योति दी।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-67663941833941426352021-03-14T14:00:46.113-07:002021-03-14T14:00:46.113-07:00बहुत ही अच्छी रचना मैंने भी सुभद्रा कुमारी चौहान र...बहुत ही अच्छी रचना मैंने भी सुभद्रा कुमारी चौहान रचनाओं को पढा है धन्यवाद इस रचना के लिए आदरणीय ज्योति जीSawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-70493316268903441852021-03-14T05:12:13.483-07:002021-03-14T05:12:13.483-07:00संगीता जी सारी रचनाएँ बचपन की पढ़ी हुई है, हमारी म...संगीता जी सारी रचनाएँ बचपन की पढ़ी हुई है, हमारी माँ हमें दोहे , कविता को लेकर ही अंताक्षरी का खेल खेलवाया करतीं रही, तभी हम सभी भाई बहनों को पाठ्यपुस्तक की सारी पद्य रचनाएँ कंठस्थ याद हो जाती थी, इसका फ़ायदा परीक्षा में भी मिला करता रहा,कुछ रचना मेरी माँ की पढ़ी हुई थी, वो भी खेल खेल में सुनकर याद हो गई ,उन्हीं को आप सभी से सांझा कर रही हूँ . हार्दिक आभार , आप सभी बचपन के साथी तो नही है परंतु मेरी बचपन की पढ़ी हुई कविता के साथी जरूर बनते जा रहे हैं ,इसके लिए आप सभी ब्लॉगर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया। ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-23200405323873065782021-03-14T04:59:36.824-07:002021-03-14T04:59:36.824-07:00संगीता जी सारी रचनाएँ बचपन की पढ़ी हुई है, हमारी म...संगीता जी सारी रचनाएँ बचपन की पढ़ी हुई है, हमारी माँ हमें दोहे , कविता को लेकर ही अंताक्षरी का खेल खेलवाया करतीं रही, तभी हम सभी भाई बहनों को पाठ्यपुस्तक की सारी पद्य रचनाएँ कंठस्थ याद हो जाती थी, इसका फ़ायदा परीक्षा में भी मिला करता रहा,कुछ रचना मेरी माँ की पढ़ी हुई थी, वो भी खेल खेल में सुनकर याद हो गई ,उन्हीं को आप सभी से सांझा कर रही हूँ . हार्दिक आभार , आप सभी बचपन के साथी तो नही है परंतु मेरी बचपन की पढ़ी हुई कविता के साथी जरूर बनते जा रहे हैं ,इसके लिए आप सभी ब्लॉगर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया। ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-33658480966233019552021-03-14T03:46:26.355-07:002021-03-14T03:46:26.355-07:00बढ़िया संकलन है आपके पास . हर माँ के दिल को छूती सु...बढ़िया संकलन है आपके पास . हर माँ के दिल को छूती सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ने मन मोह लिया . संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-78285128773680837662021-03-13T22:33:26.611-08:002021-03-13T22:33:26.611-08:00जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सो...जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 15 -03 -2021 ) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> राजनीति वह अँधेरा है जिसे जीभर के आलोचा गया,कोसा गया...काश! कोई दीपक भी जलाता! (चर्चा अंक 4006) </a> पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। <br /><br />चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें। <br /><br />यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके। <br /><br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br /><br />#रवीन्द्र_सिंह_यादव<br />Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-57667444442797282312021-03-13T21:35:05.249-08:002021-03-13T21:35:05.249-08:00😊🙏🌹😊🙏🌹जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-16637566133657919862021-03-13T19:57:27.385-08:002021-03-13T19:57:27.385-08:00मेरा सौभाग्य है कि सुभद्रा जी की रचना के माध्यम से...मेरा सौभाग्य है कि सुभद्रा जी की रचना के माध्यम से आपके अच्छी यादों के भागीदार बनने का अवसर मेरे हाथ लगा , पुराने दिनों को याद करते समय मन अपने आप ही कह उठता है , कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, कल की रचनाएँ , कल की यादें हृदय के बहुत ही पास होती है , इतनी प्यारी अनमोल टिप्पणी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया जिज्ञासा जी नमनज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6801795745793064486.post-60307907159138549902021-03-13T10:50:35.399-08:002021-03-13T10:50:35.399-08:00ज्योति जी,जब मैं बारहवीं में थी तो मेरे कॉलेज में ...ज्योति जी,जब मैं बारहवीं में थी तो मेरे कॉलेज में कवि दरबार का मंचन हुआ था जिसमे मैंने सुभद्रा कुमारी चौहान का किरदार निभाया था और यही कविता बड़े सुरों और लय ताल के साथ गाई थी,और मुझे प्रथम पुरस्कार मिला था । बचपन की उन सुनहरी यादों में ले जाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवम वंदन, सुंदर और भावपूर्ण रचना..सुभद्रा कुमारी चौहान जी की को शत शत नमन..जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.com