चार बार हमें भूख लगेगी
पांचवी बार
हम कुछ खा लेंगे ,
चार बार प्यास लगेगी
पांचवी बार
हम पानी पी लेंगे ,
चार बार हम जागते रहेंगे
पांचवी बार
आ जायेगी नीँद .
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आधा पहाड़ दौड़ाता है
आधा दौडाता है हमारा बोझ
आधा प्रेम दौडाता है
आधा दौडाता है सपना
दौड़ते है हम .
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रचनाकार --------मंगलेश डबराल